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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। जिला कलक्टर आलोक रंजन ने कहा कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए व्यापक जन-जागरूकता आवश्यक है। इसके लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी गांव-गांव, ढाणी-ढाणी जाकर आमजन को बाल विवाह के दुष्परिणामों एवं विधिक प्रावधानों की जानकारी दें। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, समाजसेवियों और संगठनों की भागीदारी से ही बाल विवाह मुक्त राजस्थान की संकल्पना को साकार किया जा सकता है।
जिला कलक्टर ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित कार्यशाला-समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए जिले के जिलास्तरीय, उपखण्ड स्तरीय, तहसील एवं ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को यह निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों एवं समाज के पंच-पटेलों से सतत संपर्क बनाए रखें और विवाह संबंधी जानकारी से अवगत रहें। यदि बाल विवाह की आशंका हो तो समय रहते उच्च अधिकारियों से समन्वय कर उसे रोका जाए।
उन्होंने उपखण्ड अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे नियमित समीक्षा बैठकें लेकर बाल विवाह रोकथाम के प्रयासों को और मजबूत करें।
अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) प्रभा गौतम ने बताया कि बाल विवाह मुक्त भारत अभियान पोर्टल के माध्यम से जिले के सभी बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों की कार्यप्रगति की मॉनिटरिंग की जाएगी। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को संवेदनशील और प्रो-एक्टिव रहकर कार्य करना होगा।
बैठक में सहायक निदेशक बाल अधिकारिता विभाग ओमप्रकाश तोषनीवाल ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों की जानकारी दी तथा अब तक आयोजित गतिविधियों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की।
बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग, महिला अधिकारिता, चिकित्सा, शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग सहित अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।